लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 22)
उस विद्यालय में मैंने पढ़ाना आरंभ किया। मुझे चौथी, छठी एवम सातवी कक्षाएं दी गईं। चौथी कक्षा की मैं कक्षा अध्यापिका थी। चौथी कक्षा के दो सेक्शंस थे। मुझे जो सेक्शन मिला, उसमें बच्चे थोड़े कम जागरूक एवम हताश थे। परंतु, मेरा यह मानना है कि हर बच्चा अद्भुत और विलक्षण होता है। सभी में एक जैसी क्षमताएं होती हैं और सभी चाहे तो प्रथम स्थान पर आ सकते हैं। मेरी यह कोशिश रहती थी कि जो विषय मैं पढ़ाऊं ऐसा पढ़ाऊं कि सभी के समान और पूरे अंक आएं।
मैं पूरी कोशिश करती कि वे सभी बच्चे पूरे अंक लाएं। जब जो बच्चे अच्छे अंक लाते फिर मैं उन्हें पुरस्कृत करती। ताकि उन्हें पुनर्बलन मिले। उनको देख कर और बच्चे भी आगे बढ़ें। जो बच्चे प्रगति करके अच्छा करते। मतलब पिछली रिपोर्ट से या पहले से ज़्यादा प्रगति करते तो उन्हें मैं अलग से पुरस्कृत करती। ताकि उन्हें उसके लिए पुनर्बलन मिले और वे और अच्छे अंक लाने की कोशिश करें।
यह सब करने के साथ मेरी एक कोशिश और होती थी कि मैं बच्चों को ना सिर्फ पढ़ाई अपितु, व्यवहार में भी अच्छा करने या बनने हेतु प्रेरित करूं। उसके लिए मैं उन्हें डिसिप्लिन के नाम से अलग से अंक देती थी। बच्चे अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने लगे। उनका व्यवहार पहले से और ज़्यादा अच्छा होने लगा। यदि कोई नैतिक मूल्यों के मायने में कुछ अच्छा कार्य करता तो उन्हें मैं पुरस्कृत करती। अतः इस प्रकार से बच्चों में पढ़ाई और नैतिकता और व्यवहार में एक सकारात्मक परिवर्तन आने लगा।
इस कार्य हेतु मुझे बाकी सीनियर अध्यापिकाओं ने भी प्रोताहित किया और मेरे इस अनूठे कदम की प्रशंसा की। इन सबसे मुझे भी और अच्छा करने हेतु पुनर्बलन मिला। बच्चे भी इस सब में आनंद महसूस करने लगे। उन्हें आनंदित देख कर मुझे भी मज़ा आने लगा। छोटे बच्चों को पढ़ाने में एक बात और खास थी जो, मैंने महसूस की वह यह कि रोज़ तो वे लोग अध्यापकों को कॉम्प्लीमेंट देते। रोज़ सुनने को मिलता। "मेम यू अर लुकिंग सो ब्यूटीफुल, प्रिटी" वगेरह वगेरह। कोई ड्रेस की तारीफ़ करता।
इन सब बातों से मुझे मेरे व्यक्तित्व में क्या और परिवर्तन लाने चाहिए और कौनसी चीज मुझ पर अच्छी लगती है यह सब भी समझ आने लगा। तभी तो मैं हमेशा कहती हूं कि मैंने मेरे शिष्यों से बहुत कुछ सीखा है। वे जाने अंजाने में मुझे बहुत कुछ सीखा गए।
जब मेरा जन्म दिन आया तो सभी ने मुझसे मेरा मन पसंद तोहफा पूछा। मैंने उनको तोहफे लाने के लिए मना कर दिया और कहा कि वे चाहे तो मेरे लिए कोई ग्रिटिंग कार्ड या कुछ क्ले से बनाकर ला सकते हैं। ताकि उनमें कुछ रचनात्मक प्रगति भी हो। बस फिर क्या था सब के सब एक से बढ़कर एक रचनात्मक तरह से ग्रीटिंग्स बनाकर ले आए। जो आज भी मैंने संभालकर रखें हुए हैं। जब उनकी फ्री क्लास होती वे चित्रकारी करते और मुझे दिखाते तो मैं उनको एक्सीलेंट लिख देती। वे बड़े खुश होकर दूसरों को दिखाते। इससे औरों को भी प्रोत्साहन मिलता और वे भी बनाना शुरू कर देते। उनकी खुशी देखकर मुझे भी बहुत प्रसन्नता होती। वे सभी मेरे लिए खास थे।
Gunjan Kamal
11-Dec-2022 02:05 PM
बहुत ही सुन्दर
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Swati Sharma
11-Dec-2022 04:15 PM
Thank you ma'am 🙏🏻
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shweta soni
09-Dec-2022 07:32 PM
Bahut sunder 👌
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Swati Sharma
09-Dec-2022 09:08 PM
Thank you ma'am 🙏🏻
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डॉ. रामबली मिश्र
09-Dec-2022 09:50 AM
👏👌
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Swati Sharma
09-Dec-2022 09:57 AM
🙏🏻😇
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